Telephone

आज आपको एक बार फिर telephone तक लेकर चलते हैं। तो आइए पढ़िए और मुस्कुराइए।

 बहुत ही पुराना शब्द लग रहा होगा। परन्तु उतना भी पुराना शब्द नहीं है, जितना आपको लग रहा हैं। बहुत से लोगों कि शिकायतें भी होगी इस पुराने telephone से और हों भी क्यों नहीं ? अपनों को मिलाने वाला ये ही अपना telephone तो था। और शिकायतें अक्सर अपनों से ही होती है। और यह telephone मस्ती भी तो हमारे साथ बहुत करता था। कभी इसकी line बन्द हो जाती तो कभी सही कहीं और का call कहीं और लगा देता था। 
                                            तो आपको हम लेकर चलते हैं 2005 के तरफ़ उससे ज्यादा पहले नहीं ले जा सकता। उस समय जब दो - तिन गांव में एक ही telephone रहता था। और वह भी किसी दुकान पर जहां सुबह और शाम लोगों कि लाइन लग जाता था। जैसे अभी ATM के बाहर लगता है। तों उस समय रिश्तेदारों से रिश्ते बनाने वाला रिश्तेदार telephone ही तो था।‌ उस समय राशन का उधार कम और telephone का उधार ज्यादा लोग रखते थे। कुछ समय बाद telephone के दुनिया में बहुत ही बड़ा बदलाव आया। और तबाही मचा कर रख दिया। और आप तो यह जानते ही होंगे ।
कोई भी वस्तु का मुल्य उस समय तक ज्यादा रहता है जिस समय तक उससे अच्छा वस्तु आ नहीं जाता।
सिक्के डालने वाला telephone आया। और उसको बहुत से दुकानदार ने लें लिया क्योंकि उस telephone को लेने में ज्यादा परेशानी नहीं होती थी। अब लोगों को telephone से बात करने के लिए इंतजार नहीं करना पड़ता था। जाओ  सिक्का डालो और बात करो। अब जो वस्तु आसानी से मिल जाता हैं।उसका respect कम हों जाता है। अब telephone का भी respect कम हो ही रहा था। कि अब धिरे धिरे mobile भी गांव में आने लगा। अब telephone पुरे तरह बर्बाद हो गया। और इसे अभी भी कुछ office और company सम्भाल रहे हैं। 
                                    अब रिश्तेदार से रिश्ते बनाने वाला रिश्तेदार ही नहीं ज्यादा समय रह पाया। तो रिश्ते कैसे ज्यादा समय रह पायेगा?
Telephone से ज्यादा समय लगता था। रिश्तेदारो से बात करने में तो रिश्ते बहुत ही अच्छे थे, और आज एक button दबाने पर रिश्तेदारों से बात हों जाता है, फिर भी रिश्ते ख़राब है। उपर मैं वस्तु के मुल्य के बारे में बताया था। समय हो आपके पास इन रिश्तों के लिए तो फिर से आप देख लें !
JITESH SINGH

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