कुछ समय बाद जब मैं college जाने लग गया, तो रुपए घर से थोड़ा और ज्यादा मिलने लग
गए। कभी कभी मैं ज़रुरत से ज्यादा खर्च कर देता था। और पिता जी के पास जब रूपए मांगने जाता तो वह बोलते थे, कि जब तुम job करने लगोगे तब तुम्हें रुपए का महत्व का जानकारी मिलेगा। मैं उस समय भी नहीं नहीं समझ पाया कि पिता जी ऐसे क्यो बोल रहे हैं? मुझे लगा वो गुस्से में ऐसा बोल रहे होंगे। सच में उस समय मुझे रुपए का महत्व का जानकारी नहीं था। क्योंकि मैं ज़रुरत से ज्यादा रुपए खर्च कर देता था
कुछ समय बाद जब मैं job के लिए बाहर गया तो बहुत ही आसानी से एक अच्छा job मिल गया। अब मैं job करने लगा था। वहां पर मैं कुछ ऐसे लोगों को देखा जिनकी salary बहुत ही कम थी। कभी company close हो जाती थी। तो उनके पास भोजन करने के लिए रूपये नहीं रहते थे उस समय मुझे रुपए का महत्व कि जानकारी हुई। उसके बाद भी मैं रूपए खर्च करना कम नहीं किया, कुछ समय बाद जब मैं कुछ दोस्तों के साथ रहा तब मुझे यह knowledge हुआ कि रूपए का बचत कैसे करें? अब मुझे रुपए का महत्व कि knowledge हो गया और मैं बचत करना भी सीखा।
और एक बहुत ही महत्वपूर्ण knowledge मिला कि अगर आपके पास कोई बस्तु जरूरत से ज्यादा हो तों उसे किसी जरूरतमंद को दें !
कोई बस्तु आप आपके पास जरूरत से ज्यादा हो तों उस बस्तु को किसी जरूरतमंद को दें !
JITESH SINGH
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