जब हम छोटे थे तो हम अपने घर में एक समय पर सभी परिवार के सदस्य एक साथ बैठक करते थे। यह बैठक रोज सुबह और शाम को होती थी ।उस बैठक में सभी परिवार के सदस्यों के हाथ एक गिलास दिया जाता था, और हम इतना जानते थे कि उसमें गर्म कुछ रहता था। परन्तु हमें यह मालुम नहीं थ,। कि उसमें रहता क्या है। कुछ समय बाद हम school जाने लगे थे, तब हम school में देखा कि वहां भी वही गर्म पानी सभी sir ji को मिलती थी। जो वह लेकर आता था, वह उसे चाय बोलता था। जब हम घर school से घर गया। तो कुछ समय बाद फिर शाम हुआं, और सभी चाय पीने बैठे थे, तो मैं भी वहां बैठा और बोला, कि मुझे भी यह चाय पीना है, तो घर पर पिता जी बोले बेटा यह बड़े लोग पीते हैं। छोटे बच्चे तो दुध पीते हैं। मैंने भी अपने जिद्द पर रह गया और बोला मुझे वह चाय ही पीना है, तो मां मेरे लिए एक गिलास दुध और उसमें थोड़ा चाय मिला कर दे दिया।और बोली लो बेटा तुम्हारे लिए भी चाय मैं खुश होकर पीने लगा, और बहुत ही अच्छा लगा। कुछ समय बाद जब मैं college जाने लगा, तो college जाते समय रास्ते में एक चाय कि दुकान था। हम कभी कभी वहां पर चाय पीया करते थे। अगर चाय पीते हुए, उस समय बारिश आ जाय तो उस चाय का स्वाद और बढ़ जाता था। हम जब घर से बाहर नौकरी पर तो वहां पर यह देखा। कि किसी भी meeting में लोग चाय हि पीने को लाते थे। तब वहां यह knowledge मिला कि चाय जो है वह meeting के लिए बनाया गया है, पर हमारे गांव में तो लोग daily चाय दुकान, पर घर में तो इसका मतलब हमारे गांव के लोग daily meeting करते हैं तब मुझे फिर बचपन कि याद आ गई कि घर में जब चाय पीते समय कुछ बातें नहीं वो meeting करते थे। अब मैं पुरा बात समझ गया। कि वही चाय गांव और शहर दोनों जगह पीया जाता है पर different इतना होता है, कि गांव में चाय पीते - पीते meeting करते हैं और और शहर में meeting करते - करते चाय पीते है। अब आप सोच रहे होंगे कि दोनों में अंतर क्या है? तो दोनों में काम एक ही हों रहा है, परन्तु target अलग- अलग हैं गांव के लोग का target चाय पीना है, और शहर के लोगो का target meeting करना है। अबतक चाय के बारे में जानकारी तो मिल ही गई होगी।
गांव में चाय पीते- पिते meeting करते हैं और शहर में meeting करते- करते चाय पीते है!
यह है चाय की कहानी!
JITESH SINGH
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