पिता और पुत्री का रिश्ता

जब घर में एक लड़की का जन्म होता है। तो मां और पिता जी बोलते हैं, मेरे घर लक्ष्मी का जन्म हुआ है। तब वही पड़ोसी बोलते हैं तुम्हारे खर्च बढ़ गई, अभी से उसकी शादी के लिए रूपये बचत करना सिख लो, तो मुस्कुराते हुए उस लड़की के पिता जी बोलते हैं, हमारे घर में लक्ष्मी आई है, लक्ष्मी आ गई तो रूपए भी आ ही जाएंगे। अब घिरे- घिरे अब अपने पुत्री को पिता जी चलने को सिखाते हैं। कुछ समय बाद पिता जी अपने पुत्री को विद्यालय लेकर जाते हैं और जब विद्यालय की छुट्टी होती है, तो उससे एक- आधे घंटे पहले ही विद्यालय के सामने जाकर खड़े हो जाते हैं, पुत्री को घर लेकर जाने के लिए। जब पुत्री विद्यालय के सामने पिता जी को देखती है, तो दौरते हुए अपने पिता जी के पास आकर खड़ी हो जाती हैं। तब अपने पिता जी के साथ विद्यालय कि बात करते हुए, हंसते हुए, घर जाने लगती हैं। पुत्री के बोलने से पहले पिता जी उसकी जरूरत कि बस्तु लाकर रख देते हैं। धीरे- धीरे पुत्री बड़ी हो जाती है और महाविद्यालय जाने लगती है अब फिर एक बार पड़ोसी उस पुत्री के पिता जी के पास आकर कहने लगते हैं। कि अब अपने पुत्री का विवाह एक अच्छा लड़का देकर कर दिजिए,
तब फिर उस पुत्री के पिता जी बोलते हैं, अभी उसे और पढ़ाना है। तब फिर एक पड़ोसी बोलता है ज्यादा पढ़ाने के लड़का भी उस योग्य ख़ोजना पड़ेगा और उसे खोंजन में मुस्किल आएगी।तो पिता जी बोलते हैं मैं अपने पुत्री योग्य लड़का ख़ोज लुंगा । और कुछ समय बाद पुत्री का महाविद्यालय कि पढ़ाई ख़त्म होती है। और वह अपने घर के काम सिखने लगती है, अब उस पिता जी के पास बहुत ही मुश्किल कार्य आता हैं, अब अपने पुत्री के विवाह के लिए एक योग्य लड़का ख़ोजना।
अब पिता जी अपने वाहन से रोज सुबह निकल जाते हैं, अपने पुत्री के लिए योग्य लड़का ख़ोजने जब कोई उसके योग्य लड़का नहीं मिलता है, तो जब सन्ध्या में पिता जी घर आते हैं, तो उस पुत्री कि मां पूछति हैं आज क्या हुआ? तो पिता जी मुस्कुराते हुए बोलते हैं, मेरी पुत्री का विवाह बहुत ज्यादा योग्य लड़का से होगा। इसलिए तो समय लग रहा है और एक दिन वह योग्य लड़का मिल जाता हैं। और पिता जी अपनी पुत्री का विवाह उस योग्य लड़का के साथ करा देते हैं। जब उस पुत्री का विदाई हो रही होंती हैं, तो उस पुत्री को घर से दूर जाने के ग़म में उस पुत्री कि मां रोने लगती है, और पुत्री भी रोने लगती है, वहां पर पिता जी पुत्री से दूर होने के ग़म और दुसरी तरफ़ उसके लिए योग्य लड़का मिलने की खुशी फिर भी पिता जी के आंखों में आंसू आने लगती है, परन्तु  पिता जी अपनी पुत्री को खुश देखने के लिए उन आंसूओं को नग्न आंखों के अंदर छिपा लेते हैं। जब पुत्री अपने ससुराल चली जाती हैं, कुछ समय बाद पिता जी उससे मिलने के लिए उसके ससुराल जाते हैं, अपने पुत्री को वहां खुश देखने के बाद पिता जी के आंखों में खुशी के आंसू आ जाते हैं। पुत्री जब अपने पिता को देखती है तो बहुत ही खुश हो जाती है, और अपने पिता से बोलती हैं, आप यहां आने में इतना ज्यादा दिन क्यो लगाया? कुछ पहले आ जाते। फिर अब समय बिताने लगा और पिता जी जब भी अपने घर के दरवाजे के पास बैठते । तो इंतजार करते कि कब मेरी पुत्री को समय मिलेगा और वह हम सभी से मिलने के लिए आएगी!


वह इंसान जो ग़म में भी मुस्कुरा देता है, वह एक पिता होता है,जो पुत्र और पुत्री के चेहरे पर मुस्कान देखने के लिए अपना चेहरा भी कलि कि तरह खिला देता है!

JITESH SINGH

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