लड़के के जिवन में बदलाव

जब लड़के घर पर रहते है

एक लड़का को जब प्यास लगता है, तों वह अपनी मां से बोलता है, मां पानी दिजियेगा । कुछ समय बाद जब उस लड़के को भूख लगता है तों वह अपनी मां से बोलता है, मुझे भूख लगा है, मां भोजन लगा दीजिए। जब उसे भोजन मिलता है तो वह लड़का बोलता हैं, यह सब्ज़ी मुझे पसन्द नहीं है, नामक कम है, मिर्च ज्यादा है। कभी वह लड़का दोपहर में सो रहा होता है, तों पिता जी या मां किसी कार्य के लिए जगाते हैं, तो वह लड़का बोलता हैं, अभी-अभी सोया था, नींद बहुत आ रही है, मैं अभी नहीं जाउंगा। जब सन्ध्या होता है, तों कभी लड़का बोलता है, मां मेरा पैर दर्द कर रहा है थोड़ा दबा दो। कभी घर में अतिथि आते हैं तो उस लड़के से उसकी मां बोलतीं है, यह अतिथि तुम्हारे साथ ही सोयगें
तब एक विस्तर पर परेशानी होगी, दुसरे कमरे में उनका विस्तर लगा दो। कभी किसी कारण उस लड़के का तकिया नहीं मिलता है, तो वह लड़का बोलता हैं मुझे बिना तकिया कि नींद नहीं आती । कभी लड़का अपनी मां से बोलता है, मां मेरे यह कमीज़ धो दो, तो मां बोलतीं है, बेटा यह कल ही तो पहना था,तो लड़का बोलता है, मां थोड़ा गन्दा हो गया है, धो हि दो !

जब लड़के घर से बाहर नौकरी पर रहते हैं

जब वही लड़का घर से बाहर नौकरी के लिए रहता है, तो पांच-पांच लड़के एक हि कमरे में रहते हैं एक ही साथ विस्तर लगाते हैं पीने वाला पानी कुछ दुर से भर कर लाता हैं, भोजन बनाते समय भोजन जल गया तो वह भी मज़े में का लेता हैं, तकिया ना होने पर सिर के पास तांवल रख कर सो लेता है, और वह लड़का कार्य करने के लिए आधी रात को कमरे से कार्यालय जाता है। पैर दर्द करने पर भी दवा खा कर कार्य में लग जाता!

वह लड़का नखरें दिखाने वाला आज दूसरो के नखरें उठाता है, ताजा भोजन खाने में नखरें दिखाने वाला जला भोजन भी मज़े में खाता है,हर लड़के के जिवन में एक ना एक दिन बदलाव आता हैं!



JITESH SINGH

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